किसी ने पूछा था, कि यह बुद्धत्व क्या है | बुद्धत्व मिल जाता है | मतलब क्या चीज मिल जाती है | जो अभी हमारे पास नहीं है | हमारे पास मन बुद्धि शरीर, सब कुछ तो है | फिर भी हम बुद्धत्व के पीछे क्यों भागे जा रहे हैं | क्या जो अभी हमारे पास है, वह काफी नहीं है | क्या बुद्धत्व कुछ नई खास चीजें देता है | आखिर वह देता क्या है |
हम सब लोग किसी ना किसी चीज के पीछे भाग ही रहे हैं | जिनके पास बहुत ज्यादा है | वह भी अध्यात्म की ओर भागते है, और जिनके पास बिल्कुल नहीं है वह भी आध्यात्मिक की ओर भागते हैं | और जिनको लगता है कि उनके पास कुछ है, वह तो भाग ही रहे हैं, कुछ और पाने के लिए |
बुद्धत्व क्या है | वास्तव में हमें लगता है कि बुद्धत्व बहुत बड़ी चीज है | जिसे पा लिया तो हमें सब कुछ मिल जाएगा | इसलिए बुद्धत्व को पा लेना बहुत जरूरी है | वास्तव में हमें बुद्धत्व कि कोई जिज्ञासा नहीं है | बुद्धत्व से कुछ मिलेगा, इस बात में जिज्ञासा है | हमें कुछ ना कुछ तो चाहिए ही | जहां कुछ नहीं मिलता वहां हम क्यों जाएं, क्या आप जाना चाहेंगे, ऐसी जगह जहां कुछ नहीं मिलता |
एक कहानी है
एक गुरु अपने शिष्यों को बुद्धत्व सिखाता था | वह उन्हें समझाता था की ध्यान करो, ध्यान की अलग-अलग विधि बताता था | ध्यान से क्या मिलेगा यह बताता था | उन्हें अंत में बुद्धत्व प्राप्त करना है, यह भी बताता था | सभी शिष्य इस जिज्ञासा में की बुद्धत्व से उन्हें बहुत कुछ मिलने वाला है | जी जान से गुरु की आज्ञा का पालन करते |
लेकिन एक शिष्य गुरु से हमेशा पूछता गुरुदेव – आखिर बुद्धत्व के पीछे भागने से क्या मिलेगा |
गुरु, शिष्य को कोई जवाब नहीं देते और मौन रहते | आखिरकार एक दिन शिष्य का सब्र टूट गया |
उसने गुरु से कहा – क्या आप अभी भी बुद्धत्व के पीछे भाग रहे है | क्या आपको कुछ मिला है | जो आपने हम सब को भी पीछे लगा रखा है | आखिर बुद्धत्व से मिलता क्या है | अगर आपको यह नहीं पता है, तो आपको कोई हक नहीं है कि आप हमें बुद्धत्व का लालच दे |
शिष्य का आवेश देखकर गुरु ने कहा – तुम क्या पूछना चाहते हो |
शिष्य ने कहा – मैं एक ही बात पूछना चाहता हूं | आखिर बुद्धत्व के पीछे भागने से क्या मिलता है |
गुरु ने कहा – भागने से छुटकारा मिल जाता है |
शिष्य ने कहा – भागने से छुटकारा मिल जाता है, लेकिन किसके पीछे भागने से छुटकारा मिल जाता है |
गुरु ने कहा – बुद्धत्व के पीछे भागने से छुटकारा मिल जाता है |
शिष्य बड़ा चकित हुआ,
उसने कहा – गुरुदेव मैं कुछ समझा नहीं | हमें बुद्धत्व के पीछे भागना चाहिए या नहीं |
गुरु ने कहा – नहीं, नहीं भागना चाहिए | बुद्धत्व के पीछे भागना व्यर्थ है |
शिष्य ने कहा – तो फिर आप हमें बुद्धत्व के पीछे क्यों भगाए रहते हैं | आखिर बुद्धत्व से मिलता क्या है |
गुरु ने कहा – भागने से छुटकारा , इससे अधिक कुछ नहीं मिलता |
शिष्य ने कहा – उसके लिए इतनी मेहनत क्यों करनी | मैं आज से ही सभी चीजों के पीछे भागना छोड़ सकता हूं |
गुरु ने मुस्कुरा कर कहा – छोड़ सकते हो तो छोड़ दो | यह कहकर गुरु वहां से चले गए |
एक दिन उस शिष्य ने एक छोटे बच्चे को देखा, उस बच्चे को देख कर उसे अपने बच्चे की याद आ गई | वह अपनी पुरानी यादों में खो गया | आश्रम में भी वह, एक तरफ अकेला अपनी बीती यादों को देख रहा था | रात के समय गुरु उस शिष्य के पास आए
और कहा – क्या नहीं छोड़ पा रहे हो, क्या है, जो तुमने इतनी मजबूती से पकड़ रखा है |
यह सुनकर शिष्य गुरु के चरणों में गिर गया और कहा – गुरुदेव आप सही कहते हैं हम ऐसे ही कुछ भी नहीं छोड़ सकते | हमसे कुछ छूटता ही नहीं | मैं अपना पुराना जीवन नहीं छोड़ पा रहा | केवल बुद्धत्व प्राप्ति कर ही सब कुछ छोड़ा जा सकता है |
गुरु मुस्कुराए और कहा – नहीं कोई कुछ नहीं छोड़ता, सब कुछ यही रहता है | बुद्धत्व प्राप्त व्यक्ति भी कुछ छोड़ता नहीं है | बल्कि सब कुछ अपने में समाहित कर लेता है | और उसके बाद भी उन चीजों से अछूता रहता है |
यहां पर पति, पत्नी, प्रेमी, प्रेमिका, माता, पिता, पुत्र, पुत्री, मित्र सब ने एक दूसरे को बहुत मजबूती के साथ पकड़ रखा है | कोई किसी से दुश्मनी भी करता है, तो उसे भी पकड़ लेता है | कोई किसी को छोड़ना नहीं चाहता | धन दौलत, पद प्रतिष्ठा, मान सम्मान, सब कुछ , सब ने पकड़ रखा है | और इतनी जोर से पकड़ रखा है | कि जैसे यह सब कभी नहीं छूटेगा | हम छोड़ते नहीं है, लेकिन एक दिन सब छूट जाता है |
उसके बाद जो पीड़ा होती है | जो दुख उत्पन्न होता है | उसे वही समझ सकता है | जिसने उस चीज को खो दिया, जिसे उसने पकड़ा हुआ था | और यह पीड़ा केवल किसी को खो देने पर नहीं होती, बल्कि उस चीज को पकड़ते समय भी बहुत पीड़ा का अनुभव होता है | सब दुखी है | सब खोज रहे एक रास्ता, एक समाधान, कि कोई तो कह दे की इस रास्ते पर चल कर, तुम्हारे सारे दुखों का निवारण हो जाएगा | जो तुम चाहोगे वही मिलेगा | जो चीजें तुमने पकड़ रखी है | वह हमेशा तुम्हारे पास रहेंगी | लोग उसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है |
शिष्य ने कहा – गुरुदेव बुद्धत्व क्या है और इससे क्या मिलता है |
गुरु ने कहा – समझ का परम विकास ही बुद्धत्व है | और इससे कुछ मिलता नहीं है | बस समझ में आ जाता है | कि हम कुछ भी पकड़ नहीं सकते | वर्तमान ही जीवन है | भूतकाल या भविष्य काल जीवन नहीं है | यह तुम्हारे खेलने वाले खिलौनों को छीन लेता है | जैसे एक बच्चे के लिए खिलौने कीमती होते हैं, लेकिन जब वही बच्चा बड़ा हो जाता है, तो वह स्वयं उन खिलौनों को छोड़ देता है | इसी तरह जब हमारी समझ का विकास होता है | और हम बुद्धत्व को प्राप्त होते हैं | तब हमें हंसी आती है कि हम किस प्रकार छोटे बच्चों की तरह दुनिया-दुनिया खेल रहे थे |
गुरु ने आकाश की ओर इशारा करते हुए शिष्य से कहा – यह आकाश किस रंग का है |
शिष्य ने कहा – काले रंग का |
गुरु ने कहा – और यह दिन में किस रंग का होता है |
शिष्य ने कहा – नीले रंग का |
गुरु ने कहा – वास्तव में इसका कोई रंग नहीं है | ना यह काला है, ना यह नीला है | यह रंग हिन है | और ना ही इसका कोई आकार है | हम मनुष्य इस धरती की तरह है | इस पर पेड़ पौधे, पशु पक्षी, धन दौलत, रिश्ते नाते, और ना जाने क्या-क्या है | हमें यह सब चीजें अच्छी लगती है | हमें यह सब चाहिए |
जबकि एक बुद्धत्व प्राप्त व्यक्ति इस आकाश की तरह होता है | उसके पास धरती भी होती है | उस पर रहने वाले सभी होते हैं | उसके पास चांद तारे, सूर्य, सब कुछ उसके पास होता है | लेकिन फिर भी उसके पास कुछ नहीं होता | वह सब को घेरे रहता है | लेकिन उसे घेरने वाला कोई नहीं |
शिष्य ने कहा – मैं समझ गया हूं गुरुदेव अब मैं भी ध्यान के पीछे बुद्धत्व को पाने के लिए जीवन लगा दुगा |