दया और दान बहुत सोच समझ कर करे, यह आपका जीवन बदल सकता है |

एक नगर में एक युवा व्यक्ति रहता था |  वह शादीशुदा था और बहुत खुश था |  वह  ईमानदारी से अपना काम करता मेहनत करता और इतना पैसा कमा लेता  कि वह अपनी और अपने परिवार की  जरूरतों की पूर्ति कर लेता |

 लेकिन वह केवल अपने लिए ही सारे काम करता | अपने जीवन में उसने कभी किसी की मदद नहीं की थी | कभी किसी पर दया नहीं की थी | कभी कोई दान नहीं दिया था | 

 एक दिन वह अपना काम खत्म करके घर वापस आ रहा था | तभी रास्ते में ही उसने एक ज्ञानी साधु को देखा जो अपना प्रवचन दे रहे थे | दान की महिमा बता रहे थे | 

 वह ज्ञानी साधु बता रहे थे – कि दान देने से हमारे पुण्य में वृद्धि होती है | जिससे हमारे दुख दूर हो जाते है और हमारे परिवार में खुशहाली आती है | दान देने से हम इस लोक में तो सुख भोगते ही हैं | परलोक में भी, स्वर्ग में भी  हमें विशिष्ट स्थान मिलता है | दया करने वाले और दान देने  वाले व्यक्ति को  ईश्वर के हृदय में जगह मिलती है | लेकिन याद रहे दान गुप्त होना चाहिए किसी को इसका पता ना चले |

इन सभी बातों को सुनकर उस व्यक्ति का मन विचलित हो गया |  उसने सोचा कि अपने जीवन में मैंने ना कभी  दान दिया ना किस कभी किसी पर दया की |  अभी इस जीवन में, दुख तो मेरा कोई नहीं है | लेकिन मरने के पश्चात मेरा क्या होगा |  मुझे भी दान करना चाहिए लोगों की मदद करनी चाहिए |

 वह घर गया और अगली सुबह का इंतजार करने लगा | वह जल्दी से जल्दी लोगों की मदद करना चाहता था | दान करना चाहता था |  वह काम के लिए घर से निकला | रास्ते में वह देखता जा रहा था कि वह किस की मदद करें |  किसको दान दे |  तब उसने एक भिकारी को देखा और बिना भिकारी के कुछ मांगे उसने भिकारी को कुछ धन दिया |  

धन पाकर भिकारी बहुत खुश हो गया उसने कहा –  खुश रहो, तुम्हारा कल्याण हो |

 यह सुनकर वह व्यक्ति भीतर से  बहुत खुश हुआ | और उसका पूरा दिन बहुत खुशी में गुजरा |  ऐसा  एहसास  उसने आज से पहले कभी नहीं किया था | 

अगले दिन फिर से वह किसी की मदद करने के लिए निकला लेकिन उसे कोई नहीं मिला | उसने फिर से उसी भिखारी को देखा और कुछ पैसे उस भिखारी को दे दिए |  तभी उसके पीछे से एक और भिखारी आया और उसने  उस व्यक्ति से  भोजन के लिए कुछ धन मांगा |  उस व्यक्ति ने उस भिखारी को भी कुछ धन दिया | 

 दोनों  भिखारियों ने उसे आशीर्वाद दिया |  वह बहुत खुश हुआ |  अब उसे लगने लगा कि उसका यह जीवन और उसका परलोक का जीवन सुधर रहा है |

अब रोज ऐसा ही होने लगा | भिकारी की संख्या उसके पास बढ़ने लगी |  एक से दो, दो से तीन, तीन से चार, 4 से 5, ऐसे ही करते-करते अनेकों भिकारी उसका इंतजार करते और वह हर किसी को धन बांटता | और सभी उसे आशीर्वाद देते | 

 धीरे-धीरे लोगों को पता चलने लगा कि यह व्यक्ति  बड़ा दानी है | और इसके पास बहुत पैसा है |  कुछ लोग जो उसके आसपास काम करते थे | वह उससे उधार मांगने लगे |  वह उन पर दया करके उन्हें धन देने लगा |  लेकिन अब उसके घर में दिक्कत होने लगी थी |  वह जो कमा रहा था | कम पड़ रहा था | घर के खर्चे पूरे नहीं हो रहे थे |  उसकी पत्नी उसे पूछती कि तुम्हारे पैसे कहा जा रहे हैं |  तुम बदल रहे हो |  तुम्हें हमारी जरा भी फिक्र नहीं |  कहीं तुम किसी और के चक्कर में तो नहीं  हो |

 उस व्यक्ति ने अपनी पत्नी से कहा –  चिंता मत करो ऐसा कुछ भी नहीं है | थोड़ी परेशानी है | लेकिन तुम देखना जल्दी ही  हमारा जीवन खुशियों से भर जाएगा |

उसने अपने मित्रों से अपना  उधार दिया गया धन मांगा |  लेकिन उसके मित्र उसे आज कल परसो में  टालते रहे | कोई भी उसका पैसा उसको लौटाने के लिए तैयार नहीं था | इसी बात को लेकर कुछ के साथ तो उसकी बहस भी हो गई और वह जैसे उसके शत्रु हो गए |

 लेकिन अभी भी वह दान दे रहा था |  खर्चे पूरे करने के लिए उसने और अधिक काम करना शुरू किया | लेकिन इधर वह अपनी कमाई बढ़ाता तो उधर उससे दान लेने वाले बढ़ जाते |  कुल मिलाकर उसके घर में कलह शुरू हो गई | रोज उसके घर में लड़ाई होती, बहस होती |  उसकी पत्नी को समझ नहीं आ रहा था  कि उसके पति को हो क्या गया है |  उसे पूरा विश्वास हो गया  कि जरूर कोई दूसरी औरत के चक्कर में उसका पति पड़ गया है |  फिर भी वह  धैर्य बनाकर  और यह सोच कर शायद वह गलत सोच रही है वही रुकी रही |

उस व्यक्ति ने भविष्य को ध्यान में रखकर अपनी पत्नी से छिपा कर  कुछ धन जमा कर रखा था |  जब भी वह किसी परेशानी में पड़ता, वह धन उसे सुकून देता कि अभी उसके पास कुछ बचा है |  बुरे वक्त में यह धन उसकी सहायता करेगा |

एक दिन उसके घर पर उसके एक रिश्तेदार आए |  उन्होंने  उससे कहा  बेटा घर में  मेरी बेटी की शादी है |  मैंने सुना है | तुम लोगों की मदद करते हो थोड़ी मदद मेरी भी कर दो | मेरे पास की शादी करने के लिए पैसे नहीं है | अगर तुम कुछ धन उधार दे दो,  तो उसकी शादी हो सकती है | जल्दी ही मैं तुम्हारे पैसे वापस लौटा दूंगा |

 उस व्यक्ति को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें –  क्या वह ना कर दे, और कह दे कि उसके पास पैसे नहीं जबकि उसके पास पैसे हैं |

 लेकिन ऐसा करने से  उसके द्वारा दिया गया सारा दान व्यर्थ हो जाएगा |  फिर उसे अपने रिश्तेदार पर दया आई |

 तो उसने कहा –  मैं आपको धन दे तो दूंगा | लेकिन यह मेरी जोड़ी हुई मेहनत की कमाई है | जो मैंने अपने भविष्य के लिए बचा रखी है | मेरे बिना कहे मुझे यह वापस कर देना |

रिश्तेदार ने कहा –  हां  बिल्कुल  तुम चिंता मत करो, छह माह के भीतर ही,  मैं तुम्हारा यह धन बिना तुम्हारे कहे तुम्हारे हाथ में लाकर रख दूंगा |

 उसने वह अपना बचा हुआ धन भी अपने रिश्तेदार को  दे दिया |

उसके निरंतर दान देने से लोगों की मदद करने से उसके घर की स्थिति बिगड़ती जा रही थी | आखिर एक दिन पत्नी का धैर्य जवाब दे गया 

और उसने कहा –  मुझे नहीं पता कि तुम क्या कर रहे हो | लेकिन मैं अपने बच्चों को यहां भूखा नहीं मार सकती |  मैं अपने घर जा रही  हूं | और जब तुम यह सब ठीक कर लो तो मुझे बता देना मैं वापस आ जाऊंगी |

उसकी पत्नी घर छोड़कर चली गई | और उसका काम भी छिन गया |  उसे अब कभी काम मिलता और कभी नहीं मिलता |  

एक दिन उसके घर में खाने के लिए भी भोजन नहीं था | वह अपने मित्रों के पास गया और उसने अपना उधार धन मांगा – लेकिन किसी ने भी उसे, उसका उधार धन नहीं दिया बल्कि उसे गालियां देने लगे | 

फिर वह अपने रिश्तेदार के पास गया और कहा –  अभी छह महा तो नहीं हुए हैं | लेकिन मुझे पैसों की जरूरत है | पूरे नहीं थोड़े ही दे दो |

 रिश्तेदार ने कहा –  बेटा, जब 6 महीने कहा है | तो क्या तुम्हें हम पर भरोसा नहीं है | 6 महीने रुक जाओ  तुम्हें तुम्हारा पूरा पैसा दे देंगे |  अभी तो हमारे पास कुछ नहीं है |

 उसे कहीं से पैसा नहीं मिला |  उसे भूख लग रही थी |  तब वह उस भिकारी के पास पहुंचा जिसे उसने पहली बार दान दिया था | 

 उसे देखते ही उस भिकारी  ने कहा – बेटा बहुत दिनों बाद दिखाई दिए | आज सुबह से कुछ नहीं खाया  | कुछ पैसे दे दो | 

उस व्यक्ति ने कहा –  बाबा मैंने भी आज सुबह से कुछ नहीं खाया | मेरे पास तो खाने के लिए भी पैसे नहीं है |

 भिकारी  ने कहा –  तो देखता क्या है | बैठ जा मेरी बगल में तू भी, भीख मांग, कोई कुछ ना कुछ दे ही जाएगा |

भीख मांगने की  बात सुनते उसके पैरों तले जमीन निकल गई | और उसे ख्याल आया कि वह क्या था | और वह क्या हो गया है | 

 वह वहां से जाने लगा तब उसने पीछे से  भिकारीयो  सुना –  वह कह रहे थे  यह व्यक्ति पागल है | सबको धन  बांटता फिरता था | अब खुद के खाने के लाले पड़े | बेवकूफ इंसान इसी को तो कहते हैं |

 उनकी यह बात सुनकर  वह  चुपचाप वहां से चला गया |  जैसे तैसे करके उसने 6 महीने निकाले उसे विश्वास था कि उसका रिश्तेदार उसे पैसे लौटा देगा | और वह फिर से अपना कोई काम करेगा |  और अपनी पत्नी और बच्चों को भी ले आएगा | 

 छह माह बाद वह उस रिश्तेदार के पास फिर से गया और अपने पैसे मांगे –  रिश्तेदार ने कहा  हम तुम्हारे पैसे लेकर कहीं भागे थोड़ी जा रहे हैं,  दे देंगे |  जब देखो पैसे मांगने आ जाते हो | इतना भी भरोसा नहीं हमारे ऊपर |  अगर भरोसा ही नहीं है तो रिश्तेदारी कैसी |

वह व्यक्ति  अपने हालात पर जोर से हंसा और कहा –  हां भरोसा तो है, तुम्हारे ऊपर, ठीक है,  नहीं देना चाहते तो मत दो, पर रिश्तेदारी रहने दो | इसे खा कर ही पेट भर लूंगा |

वह उस दिन को कोस रहा था | जब उसने उस ज्ञानी साधु की बात सुनी थी और वह दान करने चला था | लोगों की मदद करने चला था |  अब वह ज्ञानी साधु भी कहीं नहीं मिल रहा था | लेकिन घर लौटते समय उसे एक भिक्षु मिला |

 भिक्षु ने उस व्यक्ति से कहा –  तुम भूखे लग रहे हो, कुछ खाओगे, मेरे पास कुछ भोजन है, इसे ले लो |

 व्यक्ति ने कहा –  लेकिन मेरे पास धन नहीं है |

 भिक्षु ने कहा –  मुझे धन नहीं चाहिए |

उस व्यक्ति ने भिक्षु द्वारा दिए गए भोजन को खाया | जब वह भोजन खा रहा था, उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे |

 भिक्षु ने उससे पूछा –  क्या हुआ क्यों रो रहे हो |

 व्यक्ति ने अपने ऊपर घटी सारी घटना उस भिक्षु को बताई और कहा आप ही बताएं

 मैं लोगों पर दया करता हूं | तो वह मुझे ही लूट लेते हैं |  क्या दान देना लोगों की मदद करना गलत है |  जब मैं यह सब नहीं करता था | तो मैं बड़ा खुश था | मेरे जीवन में सुख था | पत्नी और बच्चे मेरे पास थे मेरे मित्र भी थे | जो अब मेरे शत्रु हो गए रिश्तेदार भी थे |  जो अब मुझसे रिश्ता ही नहीं रखना चाहते | मैं क्या करूं, कभी तो मन में आता है कि आत्महत्या ही कर लू |

भिक्षु ने कहा –  दान और दया को समझने में तुमसे गलती हुई है | तुमने इसे ठीक से समझा नहीं | दान और दया  कुछ पाने के लिए नहीं किए जाते |  यह तो मन की भावना है |  जो खुद से ही उत्पन्न होती है |

 मेरे साथ चलो  तुम्हें कुछ सिखाना है |

 भिक्षु ने एक छोटा सा पत्थर  उस व्यक्ति के हाथ में दिया और कहा इस पत्थर का ध्यान रखना  बहुत कीमती है  जब तक मैं ना कहूं इस धरती पर मत रखना | 

 वह व्यक्ति उस पत्थर को लेकर भिक्षु के पीछे पीछे चल दिया | एक मील जाने पर भिक्षु ने उस व्यक्ति के हाथ से वह पत्थर लेकर फेंक दिया | और एक  थोड़ा और बड़ा पत्थर उठाकर उस व्यक्ति के हाथ में रख दीया | भिक्षु  फिर से 1 मील चला | और फिर से उस व्यक्ति के हाथ से वह पत्थर लेकर फेंक दिया | और एक दूसरा, और बड़ा पत्थर  उस व्यक्ति के हाथ में रख दिया | और कहा इसे नीचे मत गिरा देना | 

भिक्षु फिर से 1 मील चला –  और उस पत्थर को फेंक दिया | और एक नया पत्थर जो पहले से और बड़ा और भारी था | उस व्यक्ति के हाथ में रख दिया | अब वजन कुछ ज्यादा हो गया था | व्यक्ति उस पत्थर को उठाकर चल तो रहा था | पर  वह थक गया था |  

उसने भिक्षु से कहा  – आप करना क्या चाहते है | मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा | बार-बार एक बड़ा पत्थर, आप मेरे हाथ में रख देते और यह पत्थर तो बहुत भारी है |  मुझसे  इसे लेकर चला नहीं जा रहा |  क्या मैं इसे नीचे रख दूं |

 भिक्षु ने कहा – बस थोड़ी दूर और  फिर तुम  इसे फेंक देना | थोड़ी दूर जाकर भिक्षु ने कहा इस पत्थर को फेंक दो 

 व्यक्ति ने में पत्थर फेंक  दिया  –  और बड़ी राहत की सांस ली | 

 भिक्षु ने कहा  – वहां सामने देखो  एक और  इससे भी बड़ा पत्थर है | इसे उठाकर चलो | 

उस पत्थर को देखते वह व्यक्ति भिक्षु के चरणों में गिर गया और कहा-  महाराज में समझ नहीं  पा रहा | आप करना क्या चाहते |  जिस पत्थर को उठाने के लिए आप कह रहे  उसे 10 व्यक्ति भी मिलकर नहीं उठा सकते | मैं अकेला कैसे उठा सकूंगा |

 भिक्षु ने कहा –  मैं तुम्हें यही समझाने की कोशिश कर रहा हूं |  हमें हर कार्य अपनी सामर्थ्य के अनुसार करना चाहिए | जिसमें हम बिना लड़खड़ाए बिना डगमगाए सीधे मार्ग पर चल सके | 

दान और  दया भी अपनी सामर्थ्य अनुसार ही करनी चाहिए | वरना तुम ज्यादा दूर तक चल नहीं पाओगे | लड़खड़ा कर गिर जाओगे | फिर तुम किसी और को दान देने या किसी और  पर दया करने लायक नहीं रहोगे |  बल्कि तुम्हें ही दान और दया की जरूरत पड़ जाएगी |

व्यक्ति ने कहा मैं आपकी बात समझ गया हूं –  लेकिन परलोक  का क्या होगा | स्वर्ग का क्या होगा | 

 भिक्षु ने कहा –  जिस जीवन को तुम जी रहे हो | अगर तुम उसी में सुखी नहीं हो सकते  तो परलोक के सुख को लेकर करोगे क्या | और अगर तुम बुरे कर्म नहीं करते, तो तुम्हें डर किसका है |  दान भी करो दया भी करो  सब अपनी सामर्थ्य अनुसार करो | देखना खुशियां भी  मिलेगी, सुख भी मिलेगा और दुख आएगा तो उसे झेलने के लिए हिम्मत भी मिलेगी |

 भिक्षु ने अपनी झोली से कुछ धन निकाला और कहा –  यह धन मेरे किसी काम का नहीं है | इसे तुम रख लो  शायद तुम्हारे काम आ जाए |

 उस व्यक्ति ने  भिक्षु का धन्यवाद किया और धन से  छोटा सा काम किया | उससे उसने कुछ धन कमाया | और अपनी पत्नी और बच्चे को वापस लेकर आया |  वह अभी भी  दान करता है | लोगों पर दया करता है | लेकिन सोच समझ कर |  और यह वह अपनी भावना से करता है |  किसी लालच में नहीं, उसे किसी स्वर्ग का लालच नहीं है  और ना ही किसी पुण्य कमाने का |

2 thoughts on “दया और दान बहुत सोच समझ कर करे, यह आपका जीवन बदल सकता है |”

  1. अवधेश कुमार यादव

    भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की धुन पर भगवान बुद्ध एक गाना गा रहे थे और भोले बाबा नृत्य कर रहे थे। मैंने ऐसा सपना देखा।गाने की धुन थी —
    “हर दिल जो प्यार करेगा
    वो गाना गाएगा।
    दीवाना ~~~~
    दीवाना सैकड़ों में
    पहचाना जाएगा।”

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