बुद्ध कहते हैं जागृत रहो | इस जीवन को संपूर्णता में समझो | लेकिन पूरे दिन में हम यह कितनी बार देख पाते हैं | कि हम जीवित हैं | हमे यह एहसास भी, कि हम जीवित हैं | तब होता है, जब हम किसी को मृत देख लेते हैं | जब कोई हमारे आसपास मृत्यु को प्राप्त हो जाता है | तब हम थोड़ा जागते हैं | और सोचते हैं मृत्यु के बारे में | तब भी हम जीवन के बारे में नहीं सोचते | और अजीब बात यह है कि मृत्यु दूर है | तब हम उसके बारे में सोचते हैं | जीवन साथ में चल रहा है | उसको ना हम सोचना चाहते हैं | ना ही जानना | हमें यह पता ही नहीं चलता कि हम जीवित भी हैं |
अगर आप से कोई कह दे कि, क्या आप जीवित हैं | तब आप उससे कहेंगे कि हां मैं जीवित हूं | मेरी सांस चल रही है | लेकिन यह कहते समय क्या आप जीवन को अनुभव कर रहे है |
आप में से एक भाई ने पूछा है – की जीवन का उद्देश्य क्या है ? लेकिन जीवन का उद्देश्य पता करने से पहले हमें यह जाना पड़ेगा कि जीवन क्या है | अगर हमें यही ना पता हो, कि जीवन क्या है | तो उसका उद्देश्य कैसे पता किया जा सकता है |
चेतना के तौर पर इस ब्रम्हांड में दो प्रकार के जीवन है | पहला जीवन मृत चेतना है, दूसरा जीवित चेतना |
आप एक पत्थर को लीजिए, उस पत्थर को मारिए, उसे गाली दीजिए, उसे प्रेम कीजिए या उसे आग में तपा दीजिए | वह पत्थर आपको कुछ नहीं कहेगा | अगर आपसे पूछे कि पत्थर मैं जीवन है – तो आप कहेंगे कि पत्थर निर्जीव होता है | उसमें जीवन नहीं होता | लेकिन पत्थर में जीवन होता है | लेकिन वह जीवन मृत रूप में होता है | उसकी चेतना मृत होती है | उर्जा उसमें भी उतनी ही होती है | जितनी कि आप में, फर्क सिर्फ इतना ही है कि आपके पास एक ऐसा मस्तिष्क है | जो बाहर की तरफ क्या है | यह समझने और बताने में सक्षम है |
जीवित चेतना को तो आप जानते ही हैं | आप खुद एक जीवित चेतना है | आपके आसपास सभी जानवर, पशु, पक्षी जलचर या थलचर, सभी पेड़ पौधे वनस्पति, सभी जीवित चेतना है | इनके पास अनुभव करने के लिए इंद्रियां हैं | और यह सभी जीवित चेतना मृत चेतना पर निर्भर करती है | एक पेड़ को लीजिए उस में जीवन होता है | लेकिन वह जीवन कहां से आ रहा है, जरा ध्यान से देखेंगे तो आपको दिखाई देगा कि वह पेड़ मिट्टी से जीवन को खींच रहा है | वह मिट्टी की मृत चेतना से संचारित हो रहा है | इसमें और भी मृत चेतना सहयोग कर रही हैं | जैसे हवा, पानी, सूर्य की रोशनी और यह आकाश |
जब हम कहते हैं कि जीवन का उद्देश्य क्या है | तब हम जीवन के उद्देश्य की बात नहीं कर रहे होते | हम अपनी बात कर रहे होते हैं | कि हमारा उद्देश्य क्या है ?
क्योंकि जीवन का जो उद्देश्य है | वह उस उद्देश्य को हमेशा पूरा करता आया है | वह उस उद्देश्य को पूरा करने में कोई गलती नहीं करता | उसके लिए जो नियम है, जो विधान है, वह उसी के अनुसार चलता है | आपको बिना बताए वह अपने उद्देश्यों को पूरा करता है |
पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के जीवन की शुरुआत से लेकर अब तक जीवन ने क्या किया है, उसे जरा ध्यान से देखें | तब आप पाएंगे की जीवन का उद्देश्य, एकमात्र उद्देश्य, जानकारियों को इकट्ठा करना और एक्सपेंड होना है |
एक सेल्स से दो सेल, दो से चार और इसी तरह जीवन एक्सपेंड हुआ, हर बार जीवन ने जानकारियों को इकट्ठा किया और आने वाले सेल्स को प्रेषित किया |
एक जीवन जब मां की कोख में आता है | तब वह एक सेल से 2 सेल में 2 से 4 होता है और इसी तरह वह एक क्रम के अनुसार अलग अलग जीवन में ढलता है | उन 9 महीनों में जब तक वह जीवन पूर्णता तक पहुंचता है | वह उस सभी जानकारी को स्वीकार करता है | जो पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत से लेकर अब तक इकट्ठी की गई है |
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह बच्चा यह जानता होगा कि पृथ्वी पर जीवन कैसे शुरू हुआ, और जीवन ने क्या क्या जानकारियां इकट्ठी की है, क्योंकि वह बच्चा जीवन नहीं है | जीवन कुछ और है | और वह जीवन उस बच्चे के रूप में है | जानकारी का मतलब इतना ही है कि वह सेल जो जीवन की शुरुआत में था | आज इस बच्चे के रूप में तैयार है | उसके पास बेहतर मस्तिष्क है, बेहतर समझ है, वह और तेजी से एक्सपेंड होने के लिए तैयार है |
अगर आप ध्यान देंगे तो आप देखेंगे, आज के बच्चों की समझ अब से 10 साल या उससे पुराने वाले बच्चों से कहीं अधिक है| और यह इसीलिए है, क्योंकि जीवन का यही उद्देश्य है | एक्सपेंड होना और जानकारी को इकट्ठा करना |
और यह कार्य आपके द्वारा किया जाता है | लेकिन आपको इसका पता नहीं चलता | आप पूरी जिंदगी जानकारियों को इकट्ठा करते हैं | उन्हें मस्तिष्क में सुरक्षित करते हैं | लेकिन यह वह जानकारी नहीं है जो आप स्कूल कॉलेजों में पढ़ते हैं | यह वह जानकारी है जो आपकी भावनाओं से जुड़ी है | जो आपकी समझ को बेहतर बनाती है | अमेरिका का प्रेसिडेंट कौन है इस बात से जीवन को कोई प्रभाव नहीं पड़ता | उसे प्रभाव पड़ता है, आपकी खुशी से, आपके दुख से, आप के प्रेम से, आपके हर उस कार्य से जो आपकी समझ को आपके मस्तिष्क को बेहतर बना सके |
लेकिन सवाल तो अभी भी वही है कि जीवन का उद्देश्य क्या है ? जब हम कहते हैं कि जीवन का उद्देश्य, तब हम जीवन की बात नहीं करते | हम अपनी बात करते हैं | हमारा उद्देश्य क्या है | हम यह नहीं समझ पाते कि हम यहां क्यों हैं ?
इसलिए हम अपने कुछ उद्देश्य तैयार कर लेते हैं | कुछ लोगों का उद्देश्य देश की सेवा करना है | कुछ का उद्देश्य है अधिक से अधिक सम्मान पाना, कुछ का उद्देश्य है लोगों में अपना भय उत्पन्न करना | कुछ चाहते हैं, कि वह लोगों की सेवा करें | तो कुछ लोगों का उद्देश्य है शांति पाना | और कुछ ज्ञान पाना चाहते हैं |
अगर हम कहें कि जीवन का एकमात्र उद्देश्य शांति पाना है | तो यह उनके लिए ठीक है जो शांति पाना चाहते हैं | जिनका उद्देश्य ही शांति पाना है, लेकिन जिनका उद्देश्य आईएएस ऑफिसर बनना है | जिनका उद्देश्य है प्रधानमंत्री बनना है | जिनका उद्देश्य अधिक से अधिक पैसा कमाना है | उनके लिए यह सही नहीं है |
आपका उद्देश्य क्या होगा यह आप ही तय कर सकते हैं | और यह आप कैसे तय करेंगे | यह आप तय करेंगे, अपनी समझ के अनुसार, अगर आपको यह बात समझ में आती है की इस जीवन में सब कुछ अस्थाई है | कुछ भी स्थिर नहीं है | तब आप अपने समय को उन चीजों के पीछे नष्ट नहीं करेंगे बल्कि जीवन को समझते हुए उसके हर पल को, हर क्षण को, जीने की कोशिश करेंगे | और यह जानने की कोशिश करेंगे कि आप कौन हैं | आपका अस्तित्व क्या है ?
क्योंकि जो जीवन है उसने आपको धारण किया हुआ है | लेकिन वह जीवन केवल आपसे उर्जा की प्राप्ति करता है | ताकि वह संचालित हो सके |
आपकी स्थिति कुछ ऐसी है, जैसे कि शराबी पूरे नशे में हो उसके कदम भी उठ ना रहे हो | और कोई दूसरा व्यक्ति उसे पकड़कर उसके घर तक छोड़ देता है | तब वह शराबी व्यक्ति, होता तो है, मगर उसे संचालित वह दूसरा व्यक्ति ही करता है | इसी प्रकार आपका मन आपको संचालित करता है | और आप एक शराबी व्यक्ति की तरह नशे में रहते हैं |
आपका उद्देश्य क्या है | यह आप से बेहतर कोई नहीं जानता | अगर यह शांति पाना या ध्यान पाना है | तो यह बेहतर है | लेकिन अगर यह, कुछ और भी है, तो भी यह बेहतर है, क्योंकि आपकी समझ अभी यहीं तक पहुंची है |
एक छोटे बच्चे का उद्देश्य उसके खेल खिलौने तक ही होता है | लेकिन जैसे जैसे वह बड़ा होता है | उसकी समझ बढ़ती है | उसके उद्देश्य बदल जाते हैं, हमारे उद्देश्य हमारी समझ का ही खेल है |
बुध अपने शिष्यों को ध्यान का मार्ग दिखाते थे | वह शीलो के आचरण पर विशेष ध्यान देते थे | क्योंकि वह चाहते थे कि कोई भी अपने जीवन में व्यर्थ के उद्देश्य निर्धारित ना करें | और यह तभी संभव था | जब व्यक्ति अपनी समझ को बढ़ाएं |
बुद्धा के पास अनेकों व्यक्ति आते थे | जो बुध से पूछते थे – कि जागृत होकर क्या करना है | जागरण से क्या मिल जाएगा | तब बुध एक ही बात उनसे कहते थे- आओ और जागृत हो कर देख लो, और तब मैं आपके सवाल का जवाब अवश्य दूंगा | और जो जागृत हुआ उसने कभी बुद्धा से यह नहीं पूछा कि जागृत होकर क्या मिलेगा |
क्योंकि यह एक व्यर्थ का प्रश्न है | जब तक आप जागृत नहीं होंगे, आपको नहीं पता चलेगा कि जागरण क्या होता है | और जब तक पता नहीं चलेगा, आपको कोई कितना भी बता दें, आप कुछ भी अनुभव नहीं कर पाओगे |
आप में से किसी भाई ने हमसे पूछा है कि – जो मैं वीडियो में बताता हूं – वह मेरा विश्वास है, यह सत्य है |
अगर मैं कहूं कि यह सत्य है | और आप इसे विश्वास करके मान के बैठ जाए | तब क्या आप की स्थिति में कोई परिवर्तन आएगा | आप पहले भी अनभिज्ञ थे | आप अब भी अनभिज्ञ ही रहेंगे |
और अगर मैं यह कहूं कि मैं जो बोल रहा हूं | वह सब झूठ है | और आप इस पर विश्वास कर ले, तो हो सकता है | आप उस चीज से अनभिज्ञ रह जाए जिसको आप जान सकते थे |
इसलिए बुध की एक बात हमेशा ध्यान रखें | उन्होंने कहा था अप्पो दीपो भव: | अपना दीपक स्वयं बनो, किसी की बात पर विश्वास मत करो | चाहे बुद्ध द्वारा कही गई हो, या किसी और ने कहीं हो, अपनी खोज जारी रखो, अपनी समझ को बढ़ाओ |अपने व्यवहार को ध्यानपूर्वक देखो | किसी पर आंख मूंदकर विश्वास मत करो |
सभी ज्ञानियों ने अपने ज्ञान की किताबें लिख दी और कहा – जो मैं कह रहा हूं, वही सत्य है | इसके अलावा कुछ मत सोचना और कुछ मत बोलना | केवल बुद्ध ही ऐसे हैं, जिन्होंने कहा मेरे कहे पर भी विश्वास मत करना | स्वयं से जानना, तब ही मानना |
बुध की बाते बहुत अच्छी लगती है… अपने आप में में परिवर्तन भी हुआ है… बुध का ध्यान मार्ग बहुत पसंद आया…