एक मंत्र जो आपकी जिंदगी खुशियों से भर देगा

हमें जिंदगी में क्या चाहिए ? यह एक बड़ा सवाल बनकर आता है | क्योंकि हम में से हर कोई यह नहीं जानता कि  हमें इस जिंदगी में क्या चाहिए | इसलिए हम तरह तरह की चीजों के पीछे भागते रहते हैं | कोई धन के पीछे कोई, पद के पीछे और कोई प्रतिष्ठा के पीछे भागता है |  लेकिन इन सब चीजों से हम पाना क्या चाहते हैं | सुख सुविधा ,  नहीं, यह हमारा भ्रम है कि हमें सुख सुविधाएं चाहिए | वास्तव में हम सब को सिर्फ एक ही चीज चाहिए | अगर वह चीज हमारे पास है तो फिर हमें कुछ भी नहीं चाहिए | और वह क्या है |  वह है  खुशी | आप चाहे किसी भी परिस्थिति में हो, लेकिन अगर जीवन में खुशी है, तो फिर आपको कोई शिकायत नहीं होगी | कि आपको यह नहीं मिला या वह नहीं मिला | 

अब सवाल आता है कि हम जीवन में खुश कैसे रहे | खुशी का मतलब हमेशा अच्छा ही नहीं हो सकता | यह बुरी भी हो सकती है |  किसी  हत्यारे को लोगों को मारने में खुशी मिलती है | तो क्या यह खुशी उचित है | वैसे यह उस हत्यारे के लिए तो सही है | पर जो लोग मारे जा रहे हैं, क्या उनके लिए यह उचित है | इसलिए हमेशा खुशी का मतलब अच्छे से ही नहीं होता | कुछ लोगों को बुराई में खुशी मिलती है | 

एक कहानी है 

एक व्यक्ति का जीवन निराशा से भरा हुआ था | खुशी तो जैसे उसके पास, थी ही नहीं | अपनी खुशी ढूंढने के लिए उसने कई यात्राएं की | पर कहीं से भी उसे कोई खुशी नहीं मिली | एक दिन वह अपने आप से कह रहा था कि वह धरती पर बोझ है | वह किसी काम का नहीं है | वह कुछ कर ही नहीं सकता | उसने बेकार ही धरती पर जन्म ले लिया | उसे तो अब मर जाना चाहिए |  उसकी बात एक गुरु सुन रहे थे | 

गुरु उसके पास आए और उससे कहा –  क्या तुम कुछ ढूंढ रहे हो, जो तुम्हें नहीं मिला |

व्यक्ति ने कहा – हां  मैं खुशी ढूंढ रहा हूं | मेरे जीवन में खुशी नहीं है | क्या आप बता सकते हैं यह कहां मिलती है | गुरु ने कहा – हां बता सकता हूं | खुशी मेरे पास ही है | तुम चाहो तो मुझसे ले सकते हो |

व्यक्ति ने कहा – क्या आप कुछ  ऐसा मंत्र या कोई जादू, टोना, टोटका, कुछ भी दे सकते हैं | जिससे मेरे जीवन में खुशियां आ जाए |

 गुरु ने कहा – हां दे सकता हूं | पर इसके लिए तुम्हें, जो मैं कहूंगा, तुम्हें करना होगा |

 व्यक्ति तैयार हो गया | 

गुरु उसे अपने साथ अपने आश्रम ले आए और कहा –   जब तक मैं ना कहूं तुम यहां से कहीं नहीं जाओगे | और कोई सवाल नहीं करोगे |

व्यक्ति तैयार हो गया | और वह इंतजार करने लगा कि गुरु कोई मंत्र या कोई जादू उसको देंगे | पर गुरु ने पूरे दिन उसे कुछ कहा ही नहीं और ना ही  कुछ दिया |

उसने सोचा शायद रात में देंगे | पर रात भी निकल गई | अगली सुबह हो गई |  पर गुरु ने खुशी के बारे में कोई बात ही नहीं की | 3 दिन हो गए और गुरु ने कुछ कहा ही नहीं | 

आखिरकार व्यक्ति का सब्र टूट गया और उसे गुरु से कहा –  3 दिन हो गए हैं | आपने मुझे कुछ ना बताया है, ना ही कुछ दिया है |  आपने कहा था कि खुशी मिलेगी | कहां है खुशी ?

 गुरु ने कहा –  अरे तुम्हें अभी तक खुशी नहीं मिली | यहां तो चारों तरफ खुशियां ही बिखरी पड़ी है |

 व्यक्ति ने कहा –  कहां है जरा दिखाइए तो मुझे |

 गुरु ने कहा – इससे पहले कि तुम खुशियों को देखो, तुम्हें एक काम करना होगा | वहां बाहर एक बैल गाड़ी खड़ी है | उस बैलगाड़ी में कुछ अनाज  है | उसे दूसरे गांव में पहुंचाना है | मैं भी तुम्हारे साथ ही चलूंगा |

 व्यक्ति ने कहा –  ठीक है पर आज मुझे  खुशियों का मंत्र चाहिए ही | मैं और ज्यादा दिन यहां नहीं रुकने वाला |

 गुरु ने कहा –  वह सब देखा जाएगा पहले चलते हैं |

 गुरु बैलगाड़ी में बैठ गए | उस व्यक्ति ने बैलगाड़ी को हांकना शुरू किया | बैलगाड़ी ठीक से चल नहीं रही थी 

 उसने गुरु से कहा-  गुरुदेव बैल कुछ ठीक नहीं लग रहा | कमजोर सा लग रहा है | यह ठीक से चल नहीं पा रहा |

 गुरु ने कहा –  नहीं-नहीं, मेरी तो किस्मत ही खराब है | जिस रास्ते से जाता हूं | वह रास्ता ही खराब हो जाता है |  बैल तो सही है, रास्ता खराब है |

 व्यक्ति ने कहा – नहीं, बैल कमजोर है | यह  ठीक से नहीं चल पा रहा है | रास्ता बिल्कुल सही है |

 गुरु ने कहा –  बैल सही है | रास्ता खराब है | इसलिए तुम रास्ता बदल लो |

 व्यक्ति ने रास्ता बदल लिया | पर स्थिति अभी भी वहीं की वहीं थी | 

 व्यक्ति ने कहा –  गुरुदेव मैं कह रहा हूं ना, बैल कमजोर है | वह चल नहीं पा रहा |

 गुरु ने कहा – तुम कहते हो तो मैं बैल बदल लेता हूं | पर यह रास्ते की दिक्कत है, बैल की नहीं |

 गुरु दूसरा बैल ले आए और बैलगाड़ी में लगा दिया |  

व्यक्ति ने फिर से  बैलगाड़ी को हांका, बैल ताकतवर था | इसलिए बैलगाड़ी को लेकर चल दिया |  लेकिन बैलगाड़ी अभी भी सही नहीं चल रही थी |

व्यक्ति ने कहा – गुरुदेव लगता है बैलगाड़ी पर ज्यादा वजन लगा हुआ है | हमें वजन कम करना होगा |

 गुरु ने कहा –  वजन वगैरा सब सही है | यह रास्ते ही खराब है | लेकिन चलो अगर तुम कहते ही हो, तो एक बोरा गिरा देता हूं | गुरु ने एक बोरा गिरा दिया | लेकिन अभी भी बैलगाड़ी सही नहीं चल रही थी | 

 व्यक्ति ने कहा – गुरुदेव कुछ और वजन कम करना होगा | गुरु ने दूसरा बुरा भी गिरा दिया | 

 बैल गाड़ी अभी भी, सही नहीं चल रही थी |  ऐसे ही करते-करते सारे  बोरे  एक-एक करके नीचे गिरा दिए गए |

 व्यक्ति ने कहा –  बैलगाड़ी तो अभी भी सही नहीं चल रही | 

 गुरु ने कहा –  मैंने कहा था ना | पर तुम मानते नहीं हो | यह सारे रास्ते ही बेकार है |

 व्यक्ति ने कहा – गुरुदेव इस गाड़ी के पहियों की धुरी में कुछ कमी है | पहिए सामान्य रूप से नहीं चल रहे हैं |

 गुरु ने कहा – मैंने कहा था ना कि मेरी किस्मत ही खराब है |  जो भी रास्ता चुनो, सारे के सारे खराब ही मिलते हैं |

 व्यक्ति ने कहा – गुरुदेव आप समझ क्यों नहीं रहे हैं | आपकी बैलगाड़ी के पहिए खराब है | जिस वजह से आपको सारे रास्ते खराब महसूस होते हैं |

गुरु मुस्कुराए और गुरु ने कहा – अरे पागल ! मैं कब से तुझे यही तो समझा रहा हूं |  तेरी बैलगाड़ी के पहिए  खराब और बैल बीमार है | और तुझे लगता है कि तेरे पास खुशियां नहीं है | खुशियां तो चारों तरफ है | पर तेरी ही बैलगाड़ी ठीक से रास्ते पर नहीं चल रही है | तुझे चारों तरफ खराब रास्ते ही महसूस होते हैं | तो खुशी कहां से मिलेगी |

व्यक्ति ने कहा –  तो मुझे क्या करना चाहिए गुरुदेव 

गुरु ने कहा – बैलगाड़ी से  उतर जाओ और पहियों को देखो |  गुरु और वह व्यक्ति बैलगाड़ी से उतरे  और पहियों की जांच की पहियों की धुरी सही नहीं थी | समस्या का कारण पता कर उन्होंने पहियों को सही धुरी पर लगा दिया |

 गुरु ने कहा –  अब बैलगाड़ी चला कर देखो | 

व्यक्ति ने बैल गाड़ी चलाई –  बैलगाड़ी बहुत अच्छी चल रही थी | बैल पर भी ज्यादा जोर नहीं पढ़ रहा था | बैलगाड़ी भी ज्यादा हिल नहीं रही थी, तेज चल रही थी |

व्यक्ति ने कहा –  गुरुदेव मजा आ गया | अब बैलगाड़ी बिल्कुल सही चल रही है |

 गुरु ने कहा –  यही तो खुशी है, जब सब ठीक चल रहा हो | अपनी बैलगाड़ी को सुधारो रास्ते तो सही है |

 व्यक्ति ने कहा –  गुरुदेव कुछ और समझाइए | 

 गुरु ने कहा –  बैलगाड़ी यानि तुम, बैल यानी तुम्हारा मन, बैलगाड़ी के पहिए यानी तुम्हारा शरीर, बैलगाड़ी जिस पर वजन लगा हुआ है यारी तुम्हारा दिमाग |

 इनमें से कुछ भी खराब होगा | तो तुम्हें कभी खुशी नहीं मिलेगी | तीनों को ठीक करो | तब तुम्हें चारों ओर खुशियां ही नजर आएगी |

 क्योंकि बाहर के रास्तों को तो हम ठीक कर सकते हैं | लेकिन समस्या हमारे भीतर हो तो रास्ते कितने ही अच्छे बना लो गाड़ी सही नहीं चलेगी |

 व्यक्ति ने कहा –  गुरुदेव मैं आपकी बात समझ गया | वास्तव में मेरे अंदर के हालात ठीक नहीं है | इसी वजह से मुझे खुशी नहीं मिलती | यह समझाने के लिए आपका बहुत धन्यवाद |

हमारे जीवन में भी ऐसा ही है | हमारा बैल यानी, हमारा मन | कभी किसी एक पर रुकता ही नहीं |  उसके पास जो है, उसे छोड़कर, वह सभी की तरफ भागता है | जो हमारे पास है ही, नहीं उसमें ख़ुशी कैसे मिलेगी | और जिस में खुशी मिल सकती है | जो हमारे पास है | उसे  मन देखना ही नहीं चाहता | ऐसे ही भागने दौड़ने की वजह से हमारा मन बीमार रहता है | हमारे पहिए यानी हमारा शरीर स्वस्थ ना हो तो, खुशी मिल ही नहीं सकती | इसलिए शरीर को स्वस्थ रखना आवश्यक है | बैल अगर स्वस्थ है | यानी मन अगर स्वस्थ है | तो वह खराब पहियों के साथ भी गाड़ी को खींच सकता है | मंजिल पर पहुंच सकता है |  यानी बीमार शरीर को स्वस्थ मन खींच सकता है | 

 बैलगाड़ी यानी दिमाग  जिस पर वजन  लगा रहता है | अगर बैलगाड़ी पर जरूरत से अधिक वजन लगा होगा | तो ना उससे  बैल खींच पाएंगे, और ना ही पहिए आगे बढ़ पाएंगे | हो सकता है, पहिए टूट कर गिर जाए | बैल लड़खड़ा कर जमीन पर गिर पड़े |

 इसलिए  दिमाग पर ज्यादा वजन नहीं होना चाहिए | दिमाग पर ज्यादा वजन होता है, किस चीज का है |  यह चाहिए, वह भी चाहिए, उसका भी चाहिए, उसे क्यों मिला, आगे क्या होगा, मेरा क्या होगा, कैसे करूंगा,  वह छोड़ ना जाए, वह पास ना आ जाए, ऐसी ही बेकार की चीजों से  दिमाग भरा रहता है | जबकि दिमाग पर एक ही वजन होना चाहिए, अब क्या करना है, कैसे करना है | 

 तो ऐसे में आपको खुशी कैसे मिल सकती है | अपनी बैलगाड़ी को दुरुस्त कीजिए | खुशी मिलेगी, क्योंकि खुशी है,  चारों ओर बिखरी पड़ी है |  पर हम नाराजगी को ही चुनते हैं |  अजीब बात है,  नाराज रहने में मजा बहुत आता है | यही बीमार मन का संकेत है |

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