एक युवक बहुत ही शर्मीला था | वह इतना शर्मीला था कि किसी नए व्यक्ति से बात भी नहीं कर पाता था | और जिन्हें जानता था | उनसे भी शर्म के मारे ठीक से बात नहीं कर सकता था | अपनी समस्या के कारण वह कुछ नहीं कर पा रहा था | उसके घर वाले भी उस से परेशान हो गए थे | क्योंकि वह युवा था और उसको काम करने की जरूरत थी | लेकिन वह जहां भी काम करता | वहां के लोग उसे सताने लगते | वह उसके सीधे पन का फायदा उठाने लगते | वह ज्यादा बोलता नहीं था | इसलिए उसे कुछ भी कह कर चले जाते |
जिस कारण वह ज्यादा दिन कहीं भी काम नहीं कर पा रहा था | उसके मन में बहुत कुछ था | जो वे लोगों को कहना चाहता था | अपने बारे में बताना चाहता था | मगर सब कुछ मन में ही था, बाहर निकलता ही नहीं था |
जब वह छोटा बच्चा था | तब उसके शर्मीले होने की वजह से लोग उसे पसंद करते थे | छोटा बच्चा अगर शर्मिला हो तो, बहुत ही सुंदर लगता है | लेकिन जब वही छोटा बच्चा युवा हो जाता है | तब अपने शर्मीले पन की वजह से उसे दुनिया में अपनी जगह बनाने में परेशानी होती है |
वह युवक भी अपनी जिंदगी से परेशान था | वह लोगों को बहुत कुछ कहना चाहता था | मगर लोगों के सामने उसकी जुबान खुलती ही नहीं थी | वह अपने पिता के सामने भी ठीक से बोल नहीं पाता था | बस अपनी मां से और अपने एक खास दोस्त से खुल कर बोल पाता था | कई बार उसने लोगों को सामने से जवाब देने की कोशिश की | उसे बोलता देख लोग उसकी हंसी उड़ाते | क्योंकि वह रुक कर घबरा कर बोलता था | और लोग कहते, अब तेरे मुंह में भी जबान आ गई |
उसकी इस समस्या के कारण उसके पिता भी परेशान थे | इसी वजह से एक दिन उसके पिता ने उसे बुरी तरह से डांट दिया |
वह गुस्से में बिना कुछ कहे घर से निकल गया और भागते भागते एक पहाड़ की चोटी पर पहुंचा |
वहां से नीचे देखा और जोर से कहा – भगवान तूने मुझे ऐसा क्यों बनाया | जब मैं इस दुनिया में बोल ही नहीं सकता तो या रह कर क्या करूंगा | इसलिए मैं तेरे पास आ रहा हूं |
उस युवक ने कूदने की तैयारी की |
तभी पीछे से एक आवाज आई – जान दे तो सकते हो, लेकिन जान वापस ले नहीं सकते |
युवक ने मुड़ कर पीछे देखा पीछे एक भिक्षु खड़ा था | भिक्षु को देखकर वह चुपचाप पीछे हट गया और कुछ नहीं बोला |
भिक्षु ने कहा – क्यों तुम अपने इस कीमती जीवन को समाप्त करना चाहते हो |
युवक ने घबराते हुए कहा – नहीं , कुछ नहीं मैं तो बस ऐसे ही नीचे देख रहा था |
भिक्षु ने कहा – नहीं, मैं जानता हूं, तुम यहां आत्महत्या करने आए थे | छुपाने से, सच छुपता नहीं है | कहो क्या बात थी | शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद कर दूं |
युवक ने कहा – नहीं ऐसी कोई बात नहीं है | मैं सच कह रहा हूं |
भिक्षु मुस्कुराया और भिक्षु ने कहा – ठीक है मैं तुम्हारी बात पर विश्वास करता हूं | तुम सच बोल रहे हो | लेकिन मैं यहां तुम्हारे लिए ही हूं | तुम अपनी किसी भी एक समस्या का समाधान मुझसे ले सकते हो | समस्या चाहे जो भी हो | उसका समाधान मैं तुम्हें दूंगा | लेकिन अगर मैं यहां से चला गया | फिर मैं तुम्हें कोई समाधान नहीं दे सकूंगा |
युवक ने कुछ नहीं कहा – भिक्षु बिना कुछ कहे वहां से जाने लगा |
पीछे से युवक ने भिक्षु को आवाज दी और कहा – मेरी एक समस्या है | क्या आप समाधान कर सकते हैं |
भिक्षु पीछे मुड़ा और कहा – हां कर सकता हूं | बताओ मुझे क्या समस्या है |
युवक ने कहा – मैं शर्मीला हूं | ठीक से बात नहीं कर पाता | इसके कारण मुझे बहुत कठिनाई होती है | लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं | मैं भी औरों की तरह तेज चालाक और बेशर्म होना चाहता हूं |
भिक्षु ने कहा – शर्मिला होना, हमारे भीतर डर के होने की पहचान है | किसी की शर्म करना अलग बात है | लेकिन तब आपके भीतर डर नहीं होता | लेकिन जब आपके भीतर डर होता है | तब शर्म जैसी कोई बात नहीं होती | आप हर जगह सिर्फ डरते हैं | शरमाते नहीं है |
भिक्षु ने कहा – तुम सबसे अधिक किस से शर्माते हो, या कहो कि डरते हो |
युवक ने कहा – अपने पिता से
भिक्षु ने कहा – जब तुम अपने पिता से बात करते हो, तुम्हारे मन में कैसे ख्याल आते हैं |
युवक ने कहा – मुझे लगता है कि पिता मुझे डांट देंगे | वह मुझसे नाराज हो जाएंगे | मैं कुछ गलत बोल दूंगा शायद वह मुझसे प्यार नहीं करते | मुझे छुप जाना चाहिए |
आप ठीक कहते हैं | मेरे भीतर डर ही है | मैं डरता हूं, कि कोई क्या कहेगा, कि मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं | कृपया मुझे मेरे इस डर से बाहर निकालिए |
भिक्षु ने कहा – जाओ और अपने पिता से कुछ काम करने के लिए, कुछ धन मांग कर लाओ | और अगर तुम धन मांगने में कामयाब हो गए | तब मैं तुम्हें तुम्हारी समस्या का समाधान बता दूंगा |
युवक ने कहा – मैं अपने पिता के सामने बोल नहीं पाता | धन कैसे मांग लूंगा |
भिक्षु ने कहा – तब तुम्हारी समस्या का कोई समाधान नहीं हो सकता |
युवक ने भिक्षु से कहा कि वह कोशिश करके देखेगा | वह युवक अपने पिता के पास पहुंचा |
और डरते डरते कहा – पिताजी, मैं कुछ काम करना चाहता हूं | जिसके लिए मुझे धन की आवश्यकता है | क्या आप कुछ धन दे सकते हैं |
पिता ने युवक की तरफ गौर से देखा और कहा – मुझे खुशी है कि तुम कुछ करना चाहते हो |
पिता ने कुछ धन अपने पुत्र के हाथ में रखते हुए कहा – इतना धन काफी है, या कुछ और धन चाहिए |
युवक ने कहा – जी, इतना ही बहुत है |
वह धन लेकर वह दौड़ता हुआ भिक्षु के पास पहुंचा |
और वह धन रखकर कहा – आप मेरी समस्या का समाधान बताइए |
भिक्षु ने कहा – एक काम और करना है, तुम्हें, इसके बाद मैं तुम्हें, तुम्हारी समस्या का समाधान बता दूंगा | बीना उस काम के समस्या का समाधान नहीं हो सकता |
युवक ने कहा – अब क्या करना है |
भिक्षु ने कहा – जाओ और यह धन अपने पिता को वापस कर दो | और उनसे कहो कि तुम अभी कोई काम नहीं करना चाहते | जब समय आएगा तो मैं आपसे यह धन लेकर काम कर लूंगा |
यह सुनते ही उस युवक के प्राण सूख गए | वह कांप गया |
और उसने कहा – मेरे पिता मुझे मार डालेंगे |
भिक्षु ने कहा – अगर तुम यह नहीं करोगे तो तुम्हारी समस्या का भी समाधान नहीं हो सकेगा |
वह युवक डरते-डरते वह धन लेकर अपने पिता के पास पहुंचा और कहा – पिताजी, क्षमा करें, पर मैं अभी कोई काम करना नहीं चाहता | जब मैं काम करूंगा तो मैं आपसे यह धन ले लूंगा |
पिता ने उस युवक की तरफ घूर कर देखा और कहा – मैं समझता हूं, मैं खुश हूं कि तुम बुद्धिमान हो | कोई भी काम केवल धन से नहीं होता | पहले हमें निर्णय लेना होता है कि हमें करना क्या है | फिर उस कार्य को समझना पड़ता है | उसमें हम कितने सफल हो सकते हैं | इसका अनुमान लगाना पड़ता है | और तब कहीं जाकर धन का उपयोग किया जाता है | मैं खुश हूं कि तुमने बुद्धिमानी से काम लिया | जब तुम यह समझ जाओ कि तुम्हें क्या करना है | तब मुझसे यह धन वापस ले लेना |
पिता के मुख से ऐसे शब्द सुनकर, जिसकी उसे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी | वह बहुत खुश हुआ और इसी खुशी में वह पिता के गले लग गया | पिता ने भी उसे गले लगा कर उसका हौसला बढ़ाया |
वह भागकर भिक्षु के पास गया और कहा – जैसा आपने कहा था | वैसे ही, मैंने वह धन अपने पिता को वापस कर दिया |
भिक्षु ने कहा – अब बस, एक आखरी समस्या रह गई है | इसके बाद तुम्हारी समस्या का समाधान हो जाएगा | बस एक आखरी काम और करना है |
युवक ने कहा – क्या काम करना है | क्या पिता से फिर से पैसे मांगने हैं |
भिक्षु ने कहा – नहीं, एक बहुत ही सरल सा काम है | मैं जानता हूं, तुम कर लोगे |
भिक्षु ने अपनी झोली से एक सुंदर मूर्ति निकाली, और उस युवक को देते हुए कहा – यह मूर्ति समस्या का समाधान बताएगी | तुम्हें यह मूर्ति सौ सोने के सिक्कों में बेचनी है | अगर तुमने ऐसा किया | तब मैं उसी समय तुम्हारी समस्या का समाधान बता दूंगा |
युवक ने कहा – इस मूर्ति के सो सोने के सिक्के कौन देगा | एक या दो सिक्के तो मिल सकते हैं | 100 सोने के सिक्के तो कोई नहीं देने वाला |
वह युवक मूर्ति लेकर वहां से चला गया और बाजार में पहुंचा | वहां वह चुपचाप मूर्ति लेकर एक और बैठ गया और इंतजार करने लगा , कि कोई आएगा और उससे वह मूर्ति खरीदने के लिए पूछेगा |
लेकिन बहुत देर इंतजार करने के बाद भी कोई उसके पास नहीं आया |
उसने बाजार में देखा कि लोग चिल्ला चिल्ला कर अपनी चीजों को बेच रहे आवाज लगा रहे हैं | तब उसने भी धीमे धीमे आवाज लगानी शुरू की | 100 सिक्कों में मूर्ति | लेकिन उसकी आवाज उसी को, ठीक से सुनाई नहीं दे रही थी, तो दूसरे कैसे सुनते |
बहुत देर हो गई और उसके पास कोई नहीं आया | धीरे-धीरे शाम होने लगी और उसे डर था की भिक्षु कहीं चले ना जाए |
तब उसने जोर-जोर से आवाज लगानी शुरू की – 100 सोने के सिक्कों में मूर्ति ले लो |
उसकी आवाज सुनकर लोग उसके पास खिंचे चले आए और पूछा- कि इस मूर्ति में ऐसा क्या है, कि कोई इसके लिए 100 सोने के सिक्के खर्च करेगा |
युवक ने कहा – मुझे पता नहीं पर मुझे यह मूर्ति 100 सोने के सिक्कों में ही बेचनी है |
लोगों ने कहा – इस मूर्ति को कोई नहीं खरीदेगा, क्या है इस मूर्ति में, जो उसके लिए कोई सो सोने के सिक्के देगा |
बहुत समय गुजर गया शाम होने लगी | इस बीच उसने सैकड़ों लोगों से मूर्ति खरीदने के लिए कहा | उनसे बातचीत की उन्हें समझाने की कोशिश की | कि वह अपनी मूर्ति को 100 सोने के सिक्कों में बेचना चाहता है | कृपया खरीद ले | लेकिन किसी ने वह मूर्ति नहीं खरीदी |
तब उसने बाजार में देखा कि लोग अपनी चीजों की खूबियां बता रहे हैं | जो, वो भी, उस सामान में, है भी नहीं, उसे भी बता रहे | तब जाकर लोग कोई सामान खरीदते हैं |
तब उसने सोचा और उसने जोर से आवाज लगाई – समस्या का समाधान निकालने वाली मूर्ति | मेरी गुरु की मूर्ति, इस दुनिया में एक ही है | जिसके पास भी होगी उसे कोई समस्या नहीं होगी |
यह सुनकर लोग उसकी तरफ खिंचे चले आए और लोगों ने पूछा – क्या वाकई यह मूर्ति रखने से समस्या का समाधान हो जाता है |
युवक ने कहा – हां, हो जाता है, कोई भी समस्या हो आप उस समस्या से बाहर निकल ही आएंगे | अगर यह मूर्ति आपके पास होगी |
सबको वह मूर्ति चाहिए थी | उस युवक की मूर्ति के दाम लगने लगे कोई 100 देने के लिए तैयार था | कोई 200, कोई 400, कोई हजार |
उस मूर्ति की कीमत बढ़ती जा रही थी | जैसे जैसे लोगों को पता चल रहा था कि वह मूर्ति समस्या का समाधान करती है | लोग उसे किसी भी कीमत पर खरीदने के लिए तैयार हो रहे थे |
इस बीच उस युवक ने सैकड़ों लोगों से बात की उन्हें अपने बारे में बताया उन्हें समझाया उसकी आवाज में दम था | घबराहट नहीं थी | एक भरोसा था | और वही भरोसा लोगों को नजर आ रहा था |
और अंत में जब अंधेरा होने लगा | तब उसने लोगों से कहा कि यह उसके गुरु की मूर्ति है | इसलिए वह इसे बेचना नहीं चाहता | आप सब जा सकते हैं |
और तब वह खाली हाथ भिक्षु के पास पहुंचा और वह मूर्ति भिक्षु को वापस देते हुए कहा – इस मूर्ति ने मेरी समस्या का समाधान कर दिया गुरुदेव | पर मैं इसे 100 सोने के सिक्कों में नहीं बेच पाया | मेरी समस्या का समाधान करने के लिए आपका बहुत धन्यवाद |
भिक्षु ने कहा – मैंने तुम्हारी समस्या का समाधान नहीं किया है | तुमने खुद अपनी समस्या बनाई थी | और उसका समाधान भी तुमने किया है | डर तुम्हारी समस्या थी | कुछ करूंगा तो क्या होगा | लोग क्या कहेंगे | यही तुम्हारी समस्या थी | और अपने डर का सामना कर तुमने सैकड़ों लोगों का सामना किया | जिससे तुम्हारा डर, जिसे तुम शर्माना कहते हो निकल गया |
हम सभी अपनी जिंदगी में किसी ना किसी से डरते हैं | और विश्वास रखिए जब तक आप डरते रहेंगे, तब तक आप डरते ही रहेंगे | जिस दिन आप अपने डर का सामना करेंगे | उस दिन आप किसी से नहीं शर्मआएंगे, या कहें कि नहीं डरेंगे | और जब आप नहीं डरेंगे, तब आप जो करना चाहते हैं | उसे करने से आपको रोकने वाला कोई नहीं होगा |
आपका मार्गदर्शन बहुत ही अच्छा है, जो भी उसको अपने जीवन में उतारेगा। वह अपने आप को खोजने में सफल हो जायेगा। ऐसी अंदर की आवाज है। धन्यवाद
Very good suggestion for everyone.
I like your thoughts
Thank you