हम सब अपने जीवन में एक खास चीज लेकर पैदा होते है | और वह है डर | डर वह चीज है | जो सभी प्राणियों के भीतर उनके जन्म के समय में ही उनके भीतर प्रवेश कर जाता है | डरना कोई बुरी बात नहीं है | लेकिन अगर डर का बोध ना हो तो हम ठीक से डर भी नहीं पाते | हम में से ज्यादातर लोग डरना जानते ही नहीं है | और अगर आप से पूछा जाए कि आप डरते हैं ? तो आप कहेंगे हां मैं डरता हूं | लेकिन किस से डरते हैं | आप सब उन चीजों से डरते हैं जिनका कोई मतलब नहीं है |
जैसे किसी को खोने का डर ,धन चले जाने का डर ,सम्मान पद्य प्रतिष्ठा चले जाने का डर , किसी के छोड़ जाने का डर ,प्यार के खोने का डर, किसी को कुछ पता चल जाने का डर, अपमान होने का डर, ऐसे बहुत सारे डर हम अपने भीतर लेकर घूमते रहते है | लेकिन दिखावा ऐसा करते हैं कि हम निडर है | हमें कोई फर्क नहीं पड़ता | लेकिन क्या वास्तव में यह सभी डर वास्तविक है | या यह केवल हमारा वहम है |
इस पृथ्वी पर जो कुछ भी है | एक छोटे से कीड़े से लेकर हम मनुष्य तक, सब कुछ जो इस पृथ्वी पर आप देख सकते हैं | वह सब इस पृथ्वी की ही देन है | चाहे आप कोई फल खाए या किसी जानवर का मांस खाए | वह सब आया इसी पृथ्वी से है | गहराई में हम सब की जड़े इस पृथ्वी से जुड़ी है | और हम सब एक ही हैं | हम इस पृथ्वी से उत्पन्न होते हैं | इसी में समा जाते हैं | लेकिन मनुष्य अपने आप को सब से भिन्न समझता है | वह सोचता है कि वह सबसे अलग है | क्योंकि उसके पास एक उच्च स्तर की बुद्धि है | लेकिन आपको शायद यह नहीं पता होगा कि पृथ्वी पर जितने भी जानवर कीड़े मकोड़े है | सबके पास एक उच्च स्तर की बुद्धि है | वह कभी भी आपको अपने से अधिक नहीं समझते |
इसको कुछ इस तरीके से समझते हैं | एक व्यक्ति जिसे बुद्धत्व प्राप्त है या अर्हत्व प्राप्त है | वह किसी सामान्य व्यक्ति को कुछ समझाता है | लेकिन वह व्यक्ति उस बुद्धत्व प्राप्त व्यक्ति को गालियां देता है | भला बुरा कहता है | और कहता है कि तुम पागल और मूर्ख हो | तुम यह क्या कह रहे हो ऐसा नहीं होता |
क्योंकि यह व्यक्ति समझता है कि जो उसके पास बुद्धि है वही श्रेष्ठ है | वह सब कुछ जानता है | क्योंकि वह अभी भी वहीं खड़ा है | जहां वह पहले खड़ा था | लेकिन वह व्यक्ति जो बुद्धत्व या अर्हत्व प्राप्त है | उस स्थान से आगे बढ़ गया है | अब वह आगे के रास्ते के बारे में जानता है |
यहां पर हम बात कर रहे हैं डर की, हम सब डरते हैं | लेकिन क्या हमारा डर वास्तविक है | और जिन चीजों के लिए हम डरते हैं वह वास्तविक हैं | कहते हैं बुद्धत्व प्राप्त व्यक्ति डर पर विजय प्राप्त कर लेता है | तो क्या ऐसा व्यक्ति किसी से नहीं डरता |
वास्तव में बुद्धत्व प्राप्त व्यक्ति वास्तविकता को देखने लगता है | और जब वह वास्तविकता को देखता है | तो उसे पता चलता है कि जिन चीजों के प्रति वह डर रहा है | वास्तव में वह, है ही नहीं , और वह सारी चीजें उसी से उत्पन्न हो रही है | और उसी से समाप्त भी हो रही है | लेकिन क्योंकि हम चीजों को समझते नहीं है इसी वजह से डर समाप्त नहीं होता | बल्कि हमेशा यह बढ़ता रहता है |
एक कहानी है |
एक व्यक्ति गरीब था और अकेला था | उसे बस दो वक्त का भोजन जुटाना था | वह उसी के लिए प्रयत्नशील रहता था | भोजन मिल जाने पर बहुत खुश हो जाता था | भोजन में थोड़ा सा मीठा मिल जाए तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता था | वह इसी में खुश था | उसे डर भी लगता था | रात में जब भी वह जंगल के रास्ते से निकलता तो उसे जंगली जानवरों का डर रहता | सांपों का डर रहता कि रास्ते में कोई उसे जहरीला सांप ना काट ले | कोई जानवर उसे खा ना जाए | इसलिए वह बड़ी सावधानी से जाता | अब यह जो डर है ,इस व्यक्ति का, यह एक वास्तविक डर है | यह सभी जानवरों और कीड़े मकोड़ों में होता है | अपना जीवन बचाने का डर | और यह डर होना आवश्यक है क्योंकि इसके बिना यह व्यक्ति अपने जीवन से हाथ धो सकता है |
यह व्यक्ति रात को जंगल से जा रहा था | रास्ते में उसे एक बड़ा थैला दिखाई दिया | जब उसने उस थैली में झांक कर देखा तो उसमें उसे सोना भरा मिला | उस सोने को देखते ही वह जैसे अंदर तक कांप गया | उसके चेहरे पर पसीना आने लगा | वह घबरा गया | उसने सोचा यहां कोई ना कोई अवश्य आ जाएगा और उससे यह थैला छीन लेगा | इसलिए उसने अपना रास्ता बदल दिया | और वह थैला उठाकर घने जंगल की ओर निकल पड़ा | ताकि कोई इस थैली को ढूंढते हुए उसे पकड़ ना ले |
अब जो उसका वास्तविक डर था | जीवन बचाने का, उसे वह भूल गया | और एक ऐसे डर के कब्जे में आ गया जो वास्तविक नहीं था | अब उसे डर था कि कोई उससे थैला छीन ना ले | इसलिए वह और खतरनाक रास्ते से गया जहां पर जहरीले सांप और जंगली जानवरों का अधिक डर था | और कमाल की बात यह थी कि अब उसे अपने जीवन से भी ज्यादा कीमती वह सोना लग रहा था |
रात भर चलने के बाद वह बहुत दूर एक नगर में पहुंच गया | उसने अपना सोना एक जमीन के नीचे गाड़ दिया | जिससे कोई उसे चुरा ना ले | धीरे-धीरे उसने उस नगर में एक व्यापार आरंभ किया | कुछ समय पश्चात वह एक बड़ा व्यापारी बन गया | बड़े-बड़े लोग उसके मित्र बन गए | उसने एक सुंदर युवती से शादी कर ली | सब कुछ अच्छा चल रहा था | लेकिन फिर भी वह खुश नहीं था | उसे कई तरह के डर ने आकर घेर लिया था | उसे डर था कि उसका व्यापार बंद ना हो जाए | उसकी पत्नी उसे छोड़कर ना चली जाए | लोग उसका सम्मान करना ना छोड़ दे | छोटे व्यापारी उससे आगे ना निकल जाए |
वह हमेशा एक घमंड में रहता और अकड़ के बात करता | बाहर से वह अपने आप को खुश दिखाता | लेकिन अंदर वह डरा रहता | वह हमेशा कुछ न कुछ तिकड़म लगाता रहता कि उसे अभी यह करना है | उसे वह करना है | कहीं ऐसा हो गया | कहीं वैसा हो गया | तो वह क्या करेगा | वह एक अनजाने डर से परेशान रहता |
एक दिन वह मंदिर गया और उसने ईश्वर से कहा – हे ईश्वर तूने मुझे इतना गरीब क्यों बनाया ?
मंदिर में एक दूसरा व्यक्ति यह सुन रहा था |
उसने उस व्यक्ति से कहा – तुम तो गरीब नहीं हो फिर तुम अपने आप को गरीब क्यों कह रहे हो ?
व्यक्ति ने कहा – मैं गरीब हूं | मैं उस व्यक्ति से गरीब हूं जो मुझसे अमीर है | और मुझे डर है कि अब वह मुझसे अमीर हो जाएंगे जो मुझसे गरीब है |
उस दूसरे व्यक्ति ने कहा – तुम्हें अगर बहुत अमीर होना है तो जंगल की तरफ जाओ | वहां एक गुरु रुके हुए हैं | वह तुम्हें बहुत अमीर कर सकते हैं | पहले मैं भी बहुत गरीब था | लेकिन अब मैं बहुत अमीर हूं |
उस व्यक्ति ने कहा – अच्छा ठीक है मैं उनसे अवश्य मिलूंगा |
वह व्यक्ति जंगल की ओर गया और उन गुरु से मिला और उसने कहा – हे गुरुदेव मैंने सुना है कि आप लोगों को बहुत अमीर कर देते हैं | मैं बहुत गरीब हूं | क्या आप मुझे भी अमीर कर सकते हैं ?
गुरु ने कहा – हां बिल्कुल मैं तुम्हें बहुत अमीर कर सकता हूं | पर इसके लिए तुम्हें एक चीज छोड़नी होगी और उस चीज को छोड़ते ही तुम अमीर हो जाओगे |
व्यक्ति ने कहा- जल्दी बताइए मैं सब करने के लिए तैयार हूं |
गुरु ने कहा – तुम्हें गरीब होने के डर को छोड़ना होगा |
व्यक्ति ने कहा – मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं गुरुदेव |
गुरु ने कहा – अमीर होना है तो गरीब होने के डर को छोड़ दो | किसी को पाना है, तो उसके जाने के डर को छोड़ दो | प्रेम पाना है, तो प्रेम के खोने के डर को छोड़ दो | सम्मान पाना है, तो अपमान के डर को छोड़ दो | खुशियां पानी है, सुख पाना है, तो दुख के डर को छोड़ दो | यह जो तुमने अपने कंधों पर इतना डर उठाया हुआ है | इसे जाने दो और आजाद हो जाओ , और वास्तविकता को देखो |
व्यक्ति ने कहा – गुरुदेव में अभी भी कुछ नहीं समझा वास्तविकता क्या है |
गुरु ने कहा – दौलत के खो जाने का डर, प्रेम के चले जाने का डर, सम्मान ना मिलने का डर और किसी व्यक्ति के अधिक अमीर हो जाने का डर , कुछ ना कर पाने का डर , यह सभी डर वास्तविक नहीं है यह सभी तुम से ही उत्पन्न हो रहे हैं |
व्यक्ति ने कहा – गुरुदेव मैं जानता हूं की यह सभी डर मेरे ही हैं | तो क्या इन सब चीजों के लिए मुझे डरना नहीं चाहिए |
गुरु ने कहा – मुझे एक बात बताओ भूख ज्यादा जरूरी है या अधिक से अधिक स्वादिष्ट भोजन |
व्यक्ति ने कहा – भूख ज्यादा जरूरी है | बिना भूख के भोजन किसी काम का नहीं चाहे वह कितना भी स्वादिष्ट हो |
गुरु ने कहा – मुझे यह बताओ कि जीवन ज्यादा जरूरी है या धन दौलत |
व्यक्ति ने कहा – जीवन ज्यादा जरूरी है | बिना जीवन के दौलत किस काम की |
गुरु ने कहा – तब मुझे बताओ डरना किस के लिए चाहिए | जीवन के लिए या धन दौलत के लिए |
व्यक्ति ने कहा – आवश्यक रूप से जीवन के लिए ही डरना चाहिए |
गुरु ने कहा – तुम किसके लिए डर रहे हो |
व्यक्ति ने कहा – मैं धन-दौलत के लिए डर रहा हूं | आप सही कहते हैं | मेरा डर ही गलत है | मैं दौलत के लिए डर रहा हूं | कुछ खो जाने के लिए डर रहा हूं | सम्मान के लिए डर रहा हूं | कुछ पाने के लिए डर रहा हूं | वास्तव में मैं जीवन नहीं ,डर को जी रहा हूं | और यह डर भी झूठा है |
मुझे यह समझाने के लिए आपका बहुत धन्यवाद कि मैं बहुत अमीर हूं लेकिन अपने आप को गरीब समझ बैठा हूं |
इसी तरह हमारा जीवन भी डर के बीच गुजरता रहता है | हम ऐसे कार्यों में लगे रहते हैं | जिनका जीवन जीने के लिए कोई महत्व नहीं है | धन दौलत रुपया पैसा यह सब कमाना ही जीवन का एकमात्र उद्देश्य बन जाता है | हम डरते रहते हैं कि कहीं कोई हमसे कुछ छीन ना ले | हम से कुछ मांग ना ले | हमारा कुछ खो ना जाए | कहीं हमने जो किया है वह सब को पता ना चल जाए | इसी तरह के अनगिनत डर हम अपने जीवन में उठाए घूमते रहते हैं |
जीवन को हम जीते ही नहीं है | बल्कि जीवन को डर डर के मार देते हैं |
और यही तो सब कर रहे हैं | जीवन धारण करते हैं और 1 दिन मर जाते हैं | इस बीच हम बहुत सारा रोना-धोना करते हैं | चिल्लाते हैं और मर जाते हैं | पूरे दिन में कभी भी आप प्राणवायु को महसूस करते हैं | जो आपके शरीर में आपके नाक के जरिए प्रवेश करती है | कभी जाकर देखते हैं अपने आप को | अपने जीवन को |
अगर आप अपने जीवन को अपनी सोच को बदलते हैं | अपने नजरिए को बदलते हैं | तो यह दुनिया अपने आप आपके लिए बदल जाती है | नहीं तो यह दुनिया वैसी ही डरावनी है जैसा कि डर आपने अपने अंदर बना रखा है |