समय का रहस्य जो आपको कभी नहीं दिखा

इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं | एक वो जो समय को बर्बाद करते हैं | दूसरे वह लोग जो समय का सदुपयोग करते हैं | अपने समय का भरपूर उपयोग करते हुए अलग-अलग चीजों को अलग-अलग समय देते हैं | आप भी अपनी जिंदगी में सभी को अपना समय देते ही होंगे | अपने कैरियर को, अपने जॉब को, अपने बिजनेस को, अपने परिवार को, अपने दोस्तों को, और बहुत सारी चीजों को, अपना समय देते रहते हैं |

पर हर किसी की जिंदगी में एक व्यक्ति ऐसा होता है | जिसे हम समय नहीं दे पाते, चाहे हम समय बर्बाद करने वाले हो या समय का उपयोग करने वाले | उस व्यक्ति की तरफ हम कभी देखते ही नहीं,  वह बेचारे की तरह जिंदगी भर देखता रहता है कि कभी तो आप उसे अपना समय देंगे |  वास्तव में जिसे हमें सबसे ज्यादा समय देना चाहिए | हम उसे बिल्कुल समय नहीं देते | हमारा तो ध्यान भी उस पर तब जाता है | जब हमारी जिंदगी की उल्टी गिनती चल रही होती है | यानी हम मौत के करीब होते हैं |

एक शक्तिशाली राजा जिसने दुनिया के बड़े हिस्से को जीत लिया था | अपनी जीत के जश्न में उसने अपनी प्रजा को बुला रखा था | चारों तरफ लोगों को खाना खिलाया जा रहा था | धन बांटा जा रहा था | राजा से मिलने बड़े-बड़े राजा आ रहे थे | मंत्री आ रहे थे | राजा के नाम के गीत गाए जा रहे थे | जिसमें राजा की प्रशंसा की जा रही थी | 

तब वहां बैठे एक दूसरे राजा ने कहा –  महाराज यह जो आपने इतने कम समय में सफलता हासिल की है इसके पीछे का राज क्या है | जो कोई दूसरा ना कर सका | वह आपने कैसे कर दिखाया |

 राजा ने कहा – किसी भी चीज को पाना चाहते तो, उस चीज को  पाने का सही समय होता है | बस आपको वह समय पहचानना आना चाहिए | और उस समय पर आपको कर्म करना ही पड़ेगा | अगर आपने कर्म करने में थोड़ी भी देर की, तो वह वस्तु आपके हाथों से निकल जाएगी | इसलिए सबको समय दो, आपका समय सबके हिस्से में आना चाहिए |

समय और कर्म यह दो बहुत महत्वपूर्ण चीजें हैं | जिसने समय को साध लिया और समय के अनुसार कर्म करना सीख लिया | उसे जो चाहिए, वह उसे  मिलेगा ही, चाहे जैसी भी परिस्थिति हो | जैसे ही मैंने पाया है और आगे भी मैं ऐसे ही सफलता प्राप्त करता रहूंगा |

 राजा का जवाब सुन वहां बैठे सभी राजा और अधिकारियों ने तालियों से राजा की बात का स्वागत किया |  वहां पर एक बूढ़ा भी था | राजा की बात सुनकर उसकी हंसी छूट गई | वह जोर से हंसा और नीचे गिर पड़ा | 

सिपाहियों ने उस बूढ़े आदमी को उठाया और गिरफ्तार कर लिया | 

अधिकारियों ने राजा से कहा – महाराज इस प्रकार हंसकर यह आपका अपमान कर रहा है | आप आदेश दें | इसको मृत्यु दंड दिया जाए | राजा ने उस बूढ़े को ऊपर से नीचे तक देखा |

उसकी हालत देखकर राजा ने कहा –  कोई बात नहीं  बूढ़ा है | बात समझ नहीं आई होंगी | 

राजा की बात सुनकर बूढ़ा फिर जोर से हंसा और हंसते-हंसते नीचे जमीन पर बैठ गया | उसकी हंसी नहीं रुक रही थी | और उसे हंसता देख बाकी सब भी हंसने  लगे |

सबको हंसता देख राजा को थोड़ा क्रोध आया और उसने बूढ़े से कहा – क्या जो हमने कहा वह गलत है | क्या वह हंसी के योग्य है |

 राजा की बात सुन बूढ़ा गंभीर हो गया  और उसने कहा –  महाराज आपने जो भी कहा सब सत्य है | सही समय पर सही कर्म करना ही सफलता की ओर ले जाता है | कर्म और समय का बंधन जो पहचान लेता है | वही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाता है | 

लेकिन आपका यह कहना कि आप सब को समय देते, सब का ख्याल रखते हैं, गलत है | एक बेचारा ऐसा भी है | जो आपके पास है और जिसे आप के समय की बहुत जरूरत है | और उसके लिए आपका कर्म शून्य है | इसलिए वह आपको कभी नहीं मिलेगा | 

राजा ने कहा –  ऐसा कौन है | बताओ मुझे मैं उसे उस समय अवश्य दूंगा |

बूढ़े ने कहा –  उसे तो आपको ही खोजना होगा, राजन |

मैं जल्द ही आपसे मिलूंगा, यह कहकर वह बूढ़ा वहां से चला गया | राजा को समझ नहीं आ रहा था | कि ऐसा कौन है जो उसके बिल्कुल करीब है | और जिसे वह समय नहीं दे रहे हैं | उसने अधिकारियों से कहा कि ऐसे व्यक्ति का पता किया जाए |

 बहुत छानबीन करने के बाद भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला | जिसे राजा समय नहीं दे रहे थे | और वह राजा के करीब भी था |  राजा ने सोचा मैं तो अपने शत्रुओं तक को समय देता हूं | फिर अपनों को क्यों नहीं दूंगा | ऐसा कोई नहीं है वह बूढ़ा मेरा मजाक बना रहा था | अवश्य ही अब मैं उसे मृत्युदंड दूंगा |

राजा खुद  बूढ़े को ढूंढने के लिए बाहर निकला | उसने देखा कि एक गांव में वह बूढ़ा प्रवचन दे रहा है | लोग बाग उसके चारों और भीड़ लगा कर बैठे |  राजा भी भेष बदलकर उस भीड़ में शामिल हो गया | 

 बूढ़ा कुछ कह रहा था | पर लोगों को अपनी खुसर-पुसर से ही फुर्सत नहीं थी | सब कुछ ना कुछ बोलते ही जा रहे थे | कुछ ही लोग थे जो उस बूढ़े को सुनने की कोशिश कर रहे थे | लोगों को शांत ना होता देख बूढ़ा वहां से उठकर जाने लगा |  लोगों को लगा कि शायद प्रवचन पूरा हो गया है | इसलिए गुरु जी जा रहे हैं |  पर जो लोग सुन रहे थे |

उन्होंने उस बूढ़े को रोकते हुए कहा –  गुरु जी आज आपने कुछ बताया ही नहीं, आप चुपचाप ही जा रहे हैं | 

बूढ़ा वापस आया और उसने फिर से कहा – अगर तुम ऐसे ही एक दूसरे की सुनते रहोगे और बताते रहोगे, ऐसे ही बोलते रहोगे, तब अगर भगवान भी तुम्हारे सामने आ जाए, और वह तुम्हें कुछ कहे, तो तुम उसे भी ना सुन सकोगे | इसीलिए तुम कभी उसे सुन नहीं सकते |  क्योंकि तुम अपनी-अपनी सुनाने में व्यस्त हो | जिंदगी भर यही करते रहते हो | इसलिए अंतिम समय में जब तुम्हारी कोई नहीं सुनता | तो तब तुम्हें पीड़ा होती है | रोते हो, चीखते और चिल्लाते रहते हो |

 गुरु की बात सुनकर सभी लोग शांत हो गए | और वहां एक सन्नाटा छा गया | वह बूढ़ा गुरु वहां बैठ गया और कुछ नहीं बोला | 

कुछ देर बाद एक व्यक्ति ने कहा – गुरु जी आप कुछ बोलते क्यों नहीं |

 बूढ़े गुरु ने कहा – बोलो मत सिर्फ सुनो ध्यान से सुनो

 कुछ देर तक फिर सन्नाटा रहा, फिर दूसरा व्यक्ति बोला –  गुरुदेव क्या आप हमसे नाराज हैं | आज आप कुछ बोल नहीं रहे | 

 गुरु ने कहा – अरे मूर्ख जब तक तू चुप नहीं बैठेगा | तब तक तू सुनेगा कैसे | चुप बैठ और ध्यान से सुन |

 फिर सन्नाटा हो गया – गुरु की ऐसी हरकतों को देख कर लोग बाग धीरे-धीरे खुसर पुसर करने लगे |

गुरु ने कहा –  यही तो तुम्हारी समस्या है | तुम हमेशा कुछ ना कुछ कहना चाहते हो, बताना चाहते हो, बोलना चाहते हो, करना भी चाहते हो, पर शांत होना नहीं चाहते | रुकना नहीं चाहते | सुनना नहीं चाहते | बस धमाधम बोलना है | तुम क्या बोल रहे हो कभी सोचा है | क्यों बोल रहे हो | सोचा है | इतने शब्द और विचार कहां से आ रहे हैं, सोचा है |  इन शब्दों में इन विचारों में तुमने किसी की आवाज दबा दी है | कभी उसके बारे में सोचा है |

भीड़ में से राजा उठकर खड़ा हुआ और कहा –  अरे जब तुम बोलोगे ही नहीं तो हम क्या सुनेंगे | चुपचाप बैठ जाते हो और कहते हो, सुनो, क्या सुने ?

  बूढ़े  गुरु ने कहा –  अरे राजन जब तुम्हें वह बेचारा व्यक्ति मिला ही नहीं, जिसे तुम्हारे समय की आवश्यकता है | और जो तुम्हारे सबसे करीब है | तो तुम उसकी सुनोगे कैसे |

 राजा ने कहा –  आपने मुझे पहचाना कैसे ?

 गुरु ने कहा –  यहां  जितने अकड़े हुए व्यक्ति हैं | उनमें सबसे ज्यादा तुम ही अकड़ रहे हो, पहचानना आसान है |

राजा ने कहा –  ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है | हमने जांच पड़ताल कर ली है | तुमने हमारा मजाक बनाया है | इसलिए तुम्हें हमने मृत्युदंड दिया है |

 बूढ़ा फिर जोर से हंसा और नीचे गिर पड़ा फिर खड़ा हुआ और कहां –  मृत्युदंड तो ठीक है | लेकिन पहले उस व्यक्ति से तो मिल लो, जो तुमसे मिलने के लिए तड़प रहा है | और जिसे तुम बिल्कुल भी समय नहीं देते | 

 राजा ने कहा –  कहां है बताओ मुझे |

 गुरु ने कहा –  इसके लिए तुम्हे मेरे साथ अकेले एकांत में चलना होगा |

 राजा ने कहा –  ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हूं |

  बूढ़ा राजा को जंगल में एक सुनसान जगह पर ले गया | जहां साफ पानी का एक तालाब था |  

बूढ़े ने कहा – राजन जिस व्यक्ति को तुम ढूंढ रहे हो, वह तुम्हें तालाब में मिलेगा |

 राजा तालाब की ओर गया  तालाब में झांका | लेकिन उसमें कुछ दिखाई नहीं दिया |

 राजा ने कहा –  यहां कोई नहीं है | तुम मेरा  मेरा मूर्ख बना रहे हो |

  बूढ़े ने कहा –  ध्यान से देखो  कुछ दिखाई दे रहा है |

 राजा ने फिर से देखा – और कहा – यहां केवल मेरी ही परछाई दिख रही है बाकी कुछ नहीं है |

 बूढ़े ने कहा –  यही तो है वह व्यक्ति, जिसे तुम ढूंढ रहे हो, जिसे तुम्हारे समय की सबसे ज्यादा जरूरत है | तुम ही तो हो |  तुमने सब को समय दिया | लेकिन अपने आप को नहीं दिया | बेचारा राजा |

 राजा ने तालाब में अपने आप को देखा, कुछ सोचा फिर बूढ़े से कहा –  तुम सही कहते हो | हम सबका ध्यान रखते हैं | सब को समय देते, सारे कार्य समय पर करते, पर अपने आप को समय नहीं देते | अपने सबसे ज्यादा करीब रहने वाले हम, अपना ध्यान नहीं रखते | अपनी नहीं सुनते |

 लेकिन गुरुदेव हम कैसे अपने आप को सुन सकते हैं | अपने आप को समय दे सकते हैं |

 बूढ़ा जोर से हंसा और कहा –  चुप हो जाओ, मौन हो जाओ,  शांत हो जाओ, अपनी बकबक बंद कर दो | आंखें बंद कर यहीं बैठ जाओ, ध्यान दो अपने ऊपर | तब तुम अपने आप को सुन पाओगे और अपने आप को समय दे पाओगे | वरना अंतिम समय में ही, हम अपने आप को देख पाते हैं | पर तब समय नहीं होता कि हम अपने आपसे बात कर सके | अपने आप को सुन सके |  

जैसा तुम कहते हो, सही समय पर सही कर्म आवश्यक है |  तो यही वह समय है | जब हम अपने आप को समय दे सकते  हैं | अपने आप को सुन सकते हैं और अपने आप को उन कर्मों से बचा सकते हैं | जो हमारा विनाश करते हैं|

 राजा बूढ़े के चरणों में गिर गया और कहा- आपका धन्यवाद  मुझे मुझसे मिलाने के लिए | वरना मैं तो कभी अपने आप को समझ ही नहीं पाता |

 राजा की बात सुनकर  बूढ़ा हंसते हुए लोटपोट हो गया और तालाब में जा गिरा | और कहां –  तुम तो गंभीर हो गए | जीवन गंभीरता के लिए नहीं, हंसो हंसाओ, सुखी रहो और सुख  बांटो,  दुखी हो तो अपनी शरण में जाओ, जीवन गंभीरता में मत निकाल देना | 

 हमारा जीवन भी कुछ ऐसा ही है | हम दुनिया भर में, दुनिया भर की बातें करते, फालतू की बातें करते हैं | काम की बातें करते हैं | बेकार की बातें करते हैं | ज्ञान की बातें मूर्खों की तरह करते हैं | मूर्खों की बातें ज्ञानियों की तरह करते है | और कभी अपने ऊपर ध्यान नहीं देते कि हम अपने भीतर से किस ओर जा रहे हैं |  दुनियाभर को जो आप समय देते हैं | उसमें से थोड़ा सा समय अपने ऊपर भी खर्च कीजिए | जानिए कि आपके भीतर क्या है ?  कोई बहुत बड़ा रहस्य नहीं केवल इतना ही,  कि आपकी भावनाएं क्या है ? आप कैसे सोचते हैं ? आप कैसे देखते हैं ?  आपके विचार क्या है ? 

आप अपने आप को केवल मौन में ही पहचान सकते हैं | शांति में ही खोज सकते हैं | जब हम मौन होते हैं तो हमारी ऊर्जा सबसे अधिक होती है | 

एक व्यक्ति बहुत दुखी है और आत्महत्या करना चाहता है | इसका कारण है कि वह मौन नहीं है | आत्महत्या से पहले वह चुप जरूर है | पर मन के भीतर भूचाल आया है | करोड़ों विचार एक साथ चल रहे है |  ऐसे समय पर ही हमें अपने आप पर दया करनी चाहिए | अपने आप को समय देना चाहिए | समय इस भूचाल को निकल जाने का रास्ता देखा | आप को शांति देगा | आपको मौन देगा | जिससे आप सही राह पकड़ सकेंगे | 

 मगर जिसने अपने आप को समय दिया ही नहीं | वह कभी आगे बढ़ेगा ही नहीं | हो सकता है ये दुनिया में नाम कमा ले, धन कमा ले, पर  भीतर से मर जाएगा | उसके अंदर का जीवन समाप्त हो जाएगा | एक रोबोट और मशीन से ज्यादा वह कुछ नहीं रह जाएगा | 

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